एक दिन करोगे याद प्यार के ज़माने को, जब हम चले जाएँगे ना वापिस आने को, जब महफ़िल मे चलेगा ज़िक्र हमारा तो, तन्हाई ढूँढोगे तुम भी आँसू बहाने को।
वो आती नही पर निसानी भेज देती हैं.. ख्वाबो में दास्तां पुरानी भेज देती हैं.. कितने मिठे है उनके यादो के मंजर.. कभी-कभी आखो में पानी भेज देती हैं..।
अच्छा हुआ ये आँसू बेरंग है वरना हर सुबह..मेरे तकिये का बदला हुआ रंग मेरी तन्हाई की हकीकत ब्यान कर देता