बारिश की शायरी -Barish ki shayari
हम ख़ास तो नहीं मगर बारिश की उन
कतरों की तरह अनमोल हैं, जो मिट्टी में समां जायें तो फिर कभी नहीं मिला करते
यह दौलत भी ले लो यह शोहरत भी ले लो, भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी, मगर मुझको लौटा दो वह बचपन का सावन, वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी
ए बारिश ज़रा थम के बरस, जब मेरा यार आ जाये तो जम के बरस, पहले न बरस की वो आ ना सके, फिर इतना बरस की वो जा ना सके
कितनी जल्दी ज़िन्दगी गुज़र जाती है, प्यास भुझ्ती नहीं बरसात चली जाती है. तेरी याद कुछ इस तरह आती है. नींद आती नहीं मगर रात गुज़र जाती है
कितना अधूरा लगता है तब, जब बादल हो पर बारिश ना हो, जब जिंदगी हो पर प्यार ना हो, जब आँखे हो पर ख्वाब ना हो, और जब कोई अपना हो पर साथ ना हो
आसमान को ज़मीन से मिलने की आस थी, उदास था आसमान भी ज़मीन भी उदास थी, बरस गए बादल जल्दी, ज़मीन कब से इंतज़ार में थी
बारिश और चाय शायरी क्या मस्त मौसम आया है, हर तरफ पानी ही पानी लाया है, तुम घर से बाहर मत निकलना, वरना लोग कहेंगे बरसात हुई नहीं, और मेंढक निकल आया है।
खुश नसीब होते हैं बादल,
जो दूर रहकर भी ज़मीन पर बरसते हैं,
और एक बदनसीब हम हैं,
जो एक ही दुनिया में रहकर भी मिलने को तरसते।
दिल दुखाते हो तुम, फिर भी याद आते हो तुम, मन को भिगो के जाती है तेरी यादें, और इस बरसात में तरसाते हो तुम