Barish Par Shayari-बारिश पर शायरी 

कुछ नशा तेरी बात का है कुछ नशा धीमी बरसात का है, हमे तुम यूँही पागल मत समझो यह दिल पर असर पहली मुलाकात का है

ग़म-ए-बारिशे इसीलिए नहीं कि तुम चले गए, बल्कि इसलिए कि हम ख़ुद को भूल गए

ख़ुद को इतना भी न बचाया कर, बारिश हुआ करे तो भीग जाया कर

कहीं फिसल न जाऊं तेरे ख्यालों में चलते चलते, अपनी यादों को रोको मेरे शहर में बारिश हो रही है।

कभी जी भर के बरसना, कभी बूँद-बूँद के लिए तड़पना, अये बारिश तेरी आदतें भी मेरे यार जैसी हैं

मौसम-ए-इश्क़ है तू एक कहानी बन के आ, मेरे रूह को भिगो दें जो तू वो पानी बन के आ

दिल में अनजाना सा एहसास, जैसे बारिश चुपके से कुछ कह रही है, न जाने कौन सी कशिश है इस बारिश में, जो साथ में यादें भी ले आई है

ये मौसम भी क्या रंग लाया है, साथ हवा और घटाएं लाया है, मिट्टी की खुशबू फैलाये सावन आया है, दिल को ठंडक देने बरसात का महीना आया है।

ये इश्क़ का मौसम अजीब है जनाब, इस बारिश में कई रिश्ते धुल जाते है, बेगानों से करते है मोहब्बत कुछ लोग, और अपनों के ही आंसू भूल जाते है।

बारिश सुहानी और मोहब्बत पुरानी, जब भी मिलती है नई सी लगती है।