ग़म-ए-बारिशे इसीलिए नहीं कि तुम चले गए, बल्कि इसलिए कि हम ख़ुद को भूल गए
ये इश्क़ का मौसम अजीब है जनाब, इस बारिश में कई रिश्ते धुल जाते है, बेगानों से करते है मोहब्बत कुछ लोग, और अपनों के ही आंसू भूल जाते है।
बारिश सुहानी और मोहब्बत पुरानी, जब भी मिलती है नई सी लगती है।