दिल पर शायरी - Dil Par Shayari 2022
तमाम उम्र इसी जुस्तजू में गुजरी है, कभी समझ में नहीं आया मसहला दिल का।
सब खसारों को जमा करके ये हासिल निकला, दिल-ए-नादाँ की कोई बात न मानी जाये।
जाने वाले दिल को पत्थर कर गए, फिर किसी को देख कर दिल धड़का ही नहीं
बेहतर तो है यही कि न दुनिया से दिल लगे, पर क्या करें जो काम न बे-दिल-लगी चले।
तेरा ख़याल तेरी तलब और तेरी आरज़ू, इक भीड़ सी लगी है मेरे दिल के शहर में।
दिल लेके मुफ्त कहते हैं कुछ काम का नहीं, उल्टी शिकायतें हुईं अहसान तो गया।
चलो दिल की अदला-बदली कर लें, तड़प क्या होती है समझ जाओगे।
इश्तेहार दे दो कि ये दिल खाली है, वो जो आया था किरायेदार निकला।
ये कह के दिल ने मेरे हौसले बढ़ाए हैं ग़मों की धूप के आगे ख़ुशी के साए हैं।
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