Gulzar Shayari-गुलज़ार  शायरी 

हर बात पर जब छलकने, लगे आँखों से आँसू, तब समझना मजबूत बनने, की जिद में टूट रहा है, कोई धीरे धीरे.

मेरे लिए मायने मोहब्बत, के बस इतने है, कि तुम खुश रहो तो, मैं भी खुश हू

जा जाने क्यों रेत की तरह निकल जाते है हाथों से वो लोग, जिन्हें जिंदगी समझकर हम कभी खोना नहीं चाहते.

इश्क उसी से करो जिसमें खामियां बेशुमार हो, ये खूबियों से भरे चेहरे इतराते बहुत है

आग लगा दी, आज उस किताब को मैंने, जिसमें लिखा था मोहब्बत, अगर सच्ची हो तो मिलती जरूर है.

खुशकिस्मत है नफरत उनकी, जिस पर सिर्फ हमारा हक़ है, वरना प्यार तो वो सारी दुनिया को करते है.

“प्यार में कितनी बाधा देखि, फिर भी कृष्ण के संग राधा देखि.”

दुपट्टा क्या रख लिया सर पे, वो दुल्हन नजर आने लगी, उसकी तो अदा हो गयी, जान हमारी जाने लगी.

जो उम्र भर भी न मिल सके, उसे उम्र भर चाहना इश्क हे.