Gum bhari shayari- गम भरी शायरी 

जो नजर से गुजर जाया करते हैं; वो सितारे अक्सर टूट जाया करते हैं; कुछ लोग दर्द को बयां नहीं होने देते, बस चुपचाप बिखर जाया करते हैं

कभी कभी मोहब्बत में वादे टूट जाते हैं, इश्क़ के कच्चे धागे टूट जाते हैं, झूठ बोलता होगा कभी चाँद भी, इसलिए तो रुठकर तारे टूट जाते हैं

वो तो अपने दर्द रो-रो कर सुनाते रहे, हमारी तन्हाईयों से आँखें चुराते रहे, और हमें बेवफ़ा का नाम मिला, क्योंकि हम हर दर्द मुस्कुरा कर छिपाते रहे

जो मेरा था वो मेरा हो नहीं पाया, आँखों में आंसू भरे थे पर मैं रो नहीं पाया, एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि, हम मिलेंगे ख़्वाबों में पर मेरी बदकिस्मती तो देखिये, उस रात तो मैं ख़ुशी के मारे सो भी नहीं पाया।

बिन बताये उसने ना जाने क्यों ये दूरी कर दी, बिछड़ के उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दी, मेरे मुकद्दर में ग़म आये तो क्या हुआ, खुदा ने उसकी ख्वाहिश तो पूरी कर दी।

ग़म इसका नहीं कि तू मेरा न हो सका, मेरी मोहब्बत में मेरा सहारा ना बन सका, ग़म तो इसका भी नहीं कि सुकून दिल का लुट गया, ग़म तो इसका है कि मोहब्बत से भरोसा ही उठ गया।

रोने की सज़ा न रुलाने की सज़ा है; ये दर्द मोहब्बत को निभाने की सज़ा है; हँसते हैं तो आँखों से निकल आते हैं आँसू; ये उस शख्स से दिल लगाने की सज़ा है।

हादसे इंसान के संग मसखरी करने लगे; लफ्ज कागज पर उतर जादूगरी करने लगे; कामयाबी जिसने पाई उनके घर बस गए; जिनके दिल टूटे वो आशिक शायरी करने लगे।

कैसे बयान करें आलम दिल की बेबसी का, वो क्या समझे दर्द आंखों की इस नमी का, उनके चाहने वाले इतने हो गए हैं अब कि, उन्हे अब एहसास ही नहीं हमारी कमी का।